ज़बरदस्त सर्च ज़बासर्च

यदि आप अमरीका में रहते हैं और ज़बासर्च जैसी साइट पर कभी गए हैं तो आप अपना नाम बदल कर ईस्वामी रख लेंगे, या फिर कालीचरण गायतोन्दे। समस्या यह है कि आप की लगभग हर सूचना पब्लिक प्रापर्टी है, और कभी कभी डर लगता है यह देख कर।

कई साल पहले मेरी भारत से बाहर पहली यात्रा थी और वह थी जर्मनी में। वहाँ मेरे जर्मन सहकर्मी को मुझ से यह सुन कर अजीब लगा कि हमारे देश में कोई राष्ठ्रीय परिचय क्रमांक या नेश्नल आइडेंटिफिकेशन नम्बर नहीं है। उस ने कहा कि यदि आप राह चलते कोई जुर्म करते हैं तो आप की खोजबीन कैसे हो पाएगी। मैं ने सोचा नम्बर से खोजबीन का क्या काम? उसके बाद के सालों में भारत में वोटर आइ-कार्ड जैसे मुद्दे उठे, गैर कानूनी बंगलादेशियों पर बहसे हुईं। लगा कि शायद किसी तरह का पहचान नम्बर होना सही है।

यह नम्बर आप का कैसे हिसाब रख सकता है, यह तब जाना जब यहाँ आकर सोशल सिक्योरिटी नम्बर लिया। यूँ तो सोशल सिक्योरिटी नम्बर का उद्देश्य है आप से कुछ कर इकट्ठे करना और बुढ़ापे में कुछ सुरक्षा प्रदान करना। परन्तु यह नम्बर हर जगह चाहिए होता है। इस के बग़ैर आप ड्राइविंग लाइसैंस नहीं ले सकते, नौकरी नहीं कर सकते, क्रेडिट कार्ड नहीं ले सकते, इलाज नहीं करा सकते, घर नहीं खरीद सकते, धन्धा नहीं कर सकते, लोन नहीं ले सकते। और इसी नम्बर के बल पर आप का सारा कच्चा चिट्ठा हासिल किया जा सकता है। मान लीजिए आप एक दुकान में जा रहे हैं और एक सेल्ज़मैन आप से क्रेडिट कार्ड लेने को कह रहा है। आप मान जाते हैं और एक फॉर्म भरते हैं, जहाँ X लिखा है वहाँ दस्तखत करते हैं, जिस के ऊपर छोटे अक्षरों में लिखा है कि आप उसे इजाज़त देते हैं आप का क्रेडिट चैक करने की। पलक झपकते वह पता कर लेगा आप अपना बिजली का बिल सही समय पर देते हैं या नहीं, आप कभी दिवालिया तो नहीं हुए हैं। इसी तरह, यदि आप को सड़क पर गाड़ी थोड़ी सी तेज़ चलाने के चक्कर में रोका जाता है, तो पुलिस वाला आप को शायद हल्की सी चेतावनी देकर पाँच मिनट में जाने दे पर उन पाँच मिनटों में उस ने पता कर लिया होगा कि आप देश में अनधिकृत रूप से तो नहीं हैं, पहले आप का कभी जुर्माना तो नहीं हुआ है, आदि।

सूचना स्वतन्त्रता के चलते आप बहुत सारी सूचना जो सार्वजनिक है, आसानी से पाने के हकदार हो जाते हैं। पहले यह सूचना पाने के लिए आप या तो किसी लाइब्रेरी में जाते, या फिर सम्बन्धित विभाग को लिखते, या फिर डाइरेक्ट्री वग़ैरा देखते। अब इंटरनेट के चलते यह सब पलक झपकते हो जाता है। आप को अलग अलग सूचना प्राप्त करने के लिए अलग अलग साइटों पर जाना पड़ता था, पर ज़बासर्च जैसी साइटें सारी सूचना एक जगह पर दे देती हैं और उस से भी अधिक सूचना दे देती हैं पैसा देने पर। इस साइट पर आप किसी का भी नाम डाल दीजिए, यह उस का पता, फोन नम्बर, उसके घर के आसपास का सेटेलाइट फोटो, आदि ढूँढ निकालेगा। और यदि आप पैसा देते हैं तो उस का बैकग्राउंड चैक। यानी २० डालर में २० साल बन्दा कहाँ कहाँ रहा है, आज के और पुराने फोन नम्बर, कोई कोर्ट कचहरी हुई है तो वह, करीबी रिश्तेदारों, रूम-मेटों, पडौसियों के नाम। क्या इस सूचना ओवरडोज़ की कोई सीमा है?

आज देखा कि कुछ बाहरी साइटों ने ज़बासर्च का साथ देना बन्द कर दिया है। टेरासर्वर जिन का ये लोग सेटेलाइट मैप दिखाते थे, अब यह पृष्ठ दिखाता है। कहता है कि हम ज़बासर्च से खुश नहीं हैं। देखते हैं कितने दिन में वे नया साथी खोजेंगे।

यह साइट भी देखिए।


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Comments

  1. आशीष Avatar
    आशीष

    जबरदस्त है ये यार, मैंने दोस्तों के बारे में पता किया और एक दम सही जबाब। यार हम जो अपने आप को आई टी सुपर पॉवर बोलते हैं, क्या टट्टी चाट रहे हैं जो कि एक लोगों का डाटाबेस नहीं बना सकते हैं। आडवानी का राष्ट्रीय पहचान पत्र वाला विचार अच्छा था लेकिन सेक्योलेरिस्टों ने उसकी वाट लगा दी।

  2. आशीष Avatar
    आशीष

    जबरदस्त है ये यार, मैंने दोस्तों के बारे में पता किया और एक दम सही जबाब। यार हम जो अपने आप को आई टी सुपर पॉवर बोलते हैं, क्या टट्टी चाट रहे हैं जो कि एक लोगों का डाटाबेस नहीं बना सकते हैं। आडवानी का राष्ट्रीय पहचान पत्र वाला विचार अच्छा था लेकिन सेक्योलेरिस्टों ने उसकी वाट लगा दी।

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