स्वीकृत हो शुभ अभिनन्दन


नव प्रसून है, नव प्रभात है, नई आशा और नया वर्ष
नव पल्लव, नव तरुणाई, नई सुरभि और नया हर्ष।
नई ज्योति, नव ज्योत्सना, नव ज्योतिर्मय हो जीवन
नए वर्ष में नव उत्कर्ष, स्वीकृत हो शुभ अभिनन्दन।

नहीं भाई, मैंने नहीं लिखा है। वर्षों पहले मेरे मित्र कैलाश “चन्द्रगुप्त” ने नव वर्ष की बधाई इस “चौपाई” के साथ दी थी। बाद में वे सिविल सर्विस में चले गए और हम प्राइवेट सेक्टर की सेवा करते रह गए। दोनों अपने अपने में व्यस्त हो गए और वो ख्वाबों के दिन, किताबों के दिन, सवालों की रातें, जवाबों के दिन पीछे रह गए। इस चिट्ठी के द्वारा कैलाश को आमन्त्रण दे रहा हूँ ब्लाग नगरी का सदस्य बनने का। देख लो कैलाश, यहाँ लिखना शुरू करो नहीं तो मैं तुम्हारी कविताएँ चुरा चुरा कर यहाँ छापता रहूँगा।


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Comments

  1. anurag Avatar

    bahut sundar likha hai. Nav varsh ke avsar par badee sundar rachna hai.

  2. anurag Avatar

    bahut sundar likha hai. Nav varsh ke avsar par badee sundar rachna hai.

  3. RAJEEV SENGAR Avatar
    RAJEEV SENGAR

    baht achchha laga aapki padh kar ,aape sahi likha ki yahan likho nahi to main aapki kabitayen churakar yahan chapta rahoonga.

    esse likhne ke liye jagrati hui hai .

    THANKS.
    RAJEEV

  4. RAJEEV SENGAR Avatar
    RAJEEV SENGAR

    baht achchha laga aapki padh kar ,aape sahi likha ki yahan likho nahi to main aapki kabitayen churakar yahan chapta rahoonga.

    esse likhne ke liye jagrati hui hai .

    THANKS.
    RAJEEV

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