कई दिनों से कुछ भी लिख नहीं पाया हूँ। लिखने का समय न मिलने पर भी मन में यही चलता रहता है यह लिखूँ, वह लिखूँ। इस सप्ताहान्त लाइब्रेरी से एक पुस्तक उठा लाया “सैम्ज़ टीच यौरसेल्फ मुवेब्ल टाइप इन २४ आवर्स”। और लोगों की तरह ब्लागर से विदा होकर अपना घर बसाने का विचार बढ़िया लगा। पुस्तक पढ़ने से तो लग रहा है कि अपने ब्लाग पर इससे ज़्यादा नियन्त्रण रहेगा। जाने मूवेब्ल टाइप और वर्डप्रेस में से कौन सा बेहतर है? ख़ैर मूवेब्ल टाइप की पुस्तक है, अभी तो यही बेहतर है। वर्डप्रेस की साइट पर जो सहायता विभाग है, वह मुझे अपर्याप्त लगा। जीतू जी ने तो भली भान्ति समझा दिया है पर इस मूढ़ को sql जैसे शब्दों से ही ड़र लगता है। ख़ैर धीरे धीरे रास्ता मिल ही जाएगा।
इसके अतिरिक्त शनिवार को देवनागरी टाइपराइटर्स की सूची भी पूरी की। हिन्दी के चिट्ठों और ग्रुप्स पर जितने नए आगन्तुक होते हैं उन का अक्सर यही पहला सवाल होता है — कम्प्यूटर पर यूनिकोड देवनागरी कैसे लिखी जाए? और, सब विशेषज्ञो के अलग अलग जवाब होते हैं। इसलिए मैंने सोचा टीका-टिप्पणी सहित एक पूरी सूची बना दी जाए। इस पर आप लोगों की कोई टीका-टिप्पणी हो तो बताया जाए।
एक और प्रश्न — ऍडिटर (as in टाइपराइटर) की हिन्दी क्या होनी चाहिए? “सम्पादक” तो सही नहीं है। याहूग्रुप हिन्दी-फोरम के नारायणजी कहते हैं कि “सम्पादित्र” होना चाहिए, क्योंकि संस्कृत में कुछ करने वाले यन्त्र का शब्द बनाने के लिए मूल शब्द के साथ “इत्र” लगता है। बात ठीक लगी, और हम ने अपने सम्पादित्र पर वही शब्द अपना लिया। पर ऍडिटर का काम मूलतः ऍडिट (सम्पादन) करना तो नहीं है, फिर इसे ऍडिटर या सम्पादित्र क्यों कहें। इसका काम तो कम्पोज़ करना है। टाइपराइटर फिर भी बेहतर शब्द है। हिन्दी में क्या कहें? टंकण-यन्त्र? या फिर, टंकित्र? अनु-तख्ती? कोई सुझाव?
कम्पयूटर की हिन्दी शब्दावली का कोई केन्द्रीय स्थान हो तो बताएँ। भारत सरकार की एक साइट है जो हमेशा काम नहीं करती, और यूनिकोड का प्रयोग भी नहीं करती।
अनुगूंज पर “आतंक से मुख्यधारा” पर सबका दृष्टिकोण देख कर कुछ अनकम्फोर्टिब्ल सी फीलिंग हुई। लगा कि हम भारतीय मूलतः उदारहृदयी हैं। ख़ैर ख्यालों को तरतीब दे कर कुछ लिखूंगा इसके बारे में।
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