Category: विविध
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बिना मताधिकार के मोहरे
[१९९० के आरंभ तक उत्तर कश्मीर के कलूसा गाँव के जिस घर में मेरा परिवार दशकों से रहा, उस में तब से या तो हिज़्बुल-मुजाहिदीन का डेरा रहा है या राष्ट्रीय राइफ्ल्ज़ का, जिस का जिस समय वर्चस्व रहा। वह क्षेत्र “शान्त” क्षेत्रों में से है, क्योंकि वहाँ अभी भी गिनती के दो-चार हिन्दू बचे…
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अनु-झोपड़पट्टी
साइबर स्क्वैटिंग को हिन्दी में क्या कहेंगे? अनु-झोपड़पट्टी? कुछ समय पहले तक साइबर स्क्वैटिंग बहुत ही आम बीमारी थी। लोग बड़ी-बड़ी कंपनियों के डोमेन-नेम रजिस्टर करा लेते थे और बाद में उनसे अच्छी ख़ासी रक़म वसूलते थे। अब कई कानून बन गए हैं जिनसे साइबर स्क्वैटिंग करने वालों के लिए मुश्किल हो गई है पर…
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इट हैपन्ज़ ऑनली इन इंडिया
जब कार में अकेला सफ़र कर रहा होता हूँ, विशेषकर सुबह दफ़्तर जाते और शाम को वापस आते, तो मेरी पसन्द का रेडियो स्टेशन रहता है NPR (यानी नैश्नल पब्लिक रेडियो)। शायद यही एक स्टेशन है जिस पर विज्ञापन नहीं आते, और समाचार व अन्य चर्चा दिन भर चलती रहती है। देश भर में इससे…
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स्वीकृत हो शुभ अभिनन्दन
नव प्रसून है, नव प्रभात है, नई आशा और नया वर्ष नव पल्लव, नव तरुणाई, नई सुरभि और नया हर्ष। नई ज्योति, नव ज्योत्सना, नव ज्योतिर्मय हो जीवन नए वर्ष में नव उत्कर्ष, स्वीकृत हो शुभ अभिनन्दन। नहीं भाई, मैंने नहीं लिखा है। वर्षों पहले मेरे मित्र कैलाश “चन्द्रगुप्त” ने नव वर्ष की बधाई इस…
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त्सुनामी – त्रासदी और उच्चारण
त्सुनामी का हाहाकार कुछ ऐसा छाया हुआ है कि कुछ और लिखते गिल्टी फीलिंग होने लगती है। मृतकों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। अभी अभी सुना सवा लाख से बढ़ चुकी है। टीवी समाचारों में देख कर दिल दहल गया कि किस प्रकार पानी की भीषण लहरें खेलते बच्चों को निगल गईं। दफ़्तर…
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दो बातें
1. विशेषज्ञों की सलाह मानकर मैंने भी वर्डप्रेस को अपना ब्लाग-यन्त्र बनाया। मैं अपना ब्लागस्थान ब्लागर से बदल कर यहाँ ले आया हूँ, अपने जालस्थल पर। 2. यदि आप अपने ब्लाग पर सभी हिन्दी ब्लागरों की कड़ियां रखते हैं तो उसको अपटुडेट रखने के लिए मेरा एक पंक्ति का जावास्क्रिपट प्रयोग करें। यहां देखें।
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इधर उधर की
कई दिनों से कुछ भी लिख नहीं पाया हूँ। लिखने का समय न मिलने पर भी मन में यही चलता रहता है यह लिखूँ, वह लिखूँ। इस सप्ताहान्त लाइब्रेरी से एक पुस्तक उठा लाया “सैम्ज़ टीच यौरसेल्फ मुवेब्ल टाइप इन २४ आवर्स”। और लोगों की तरह ब्लागर से विदा होकर अपना घर बसाने का विचार…
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आतंक से मुख्यधारा की राह क्या हो?
हाल ही के कुछ समाचार माध्यमों में खबर थी, १९९० के पूर्वार्ध में जम्मू कश्मीर छात्र स्वातंत्र्य फ्रंट के कर्ताधर्ता और आत्मसमर्पण करने वाले आतंकियों की संस्था इख़्वान-उल-मुस्लिमीन के सर्वोच्च कमांडर ताहिर शेख इख़्वानी ने टेरिटोरियल सेना के अफसरों की चयन परीक्षा उत्तीर्ण कर ली है। बहस उठी कि क्या यह मुनासिब है कि पूर्व…
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देस परदेस
इस सप्ताह पंकज जी के भूत ने अक्षरग्राम पर एक नया शोशा छोड़ा था — मानसिक लुच्चेपन का। बातों में फुरसतिया अनूप जी ने महेश भट्ट की पूजा का ज़िक्र किया। भई बॉलीवुड तो वैसे ही अपने आप में अलग संस्कृति है। इस बीच देसी मूल्यों के पश्चिम में धुन्धला जाने और इससे माता-पिता-सन्तान की…