लोग मेरे चिट्ठे पर इस को ढ़ूँढ़ते पहुँचेंगे, मुझे अन्दाज़ा न था। पर, ऐसा हुआ है, स्टैटकाउंटर ने बताया। और वह भी जीतू भाई के एक कमेंट की बदौलत। कोई बात नहीं, आओ तो सही, चाहे जिस बहाने आओ।
वैसे यह गनीमत है कि मेरा चिट्ठा इस अनूठी गूगल खोज के चौथे पन्ने पर है। मुझ से पहले अपनी बात, मेरा पन्ना (पुराना), नुक्ताचीनी, फुरसतिया, हाँ भाई, आदि हैं।
अंजन भूषण जी ने इस मुद्दे पर साल भर पहले यह लिखा है।
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