आज “पेज थ्री” देखी। फिल्म देखने के लिए बैठ रहा था तो ज़्यादा उम्मीदें नहीं थीं, सोचा शायद कुछ देर बाद उठ जाऊँगा और परिवार के बाकी लोग देख लेंगे, जैसा घर में आई अक्सर फिल्मों के साथ होता है। शुरू में कुछ धीमी भी लगी पर जैसे जैसे फिल्म आगे बढ़ती गई, उसका आकर्षण बढ़ता गया, और अब मैं यही कहना चाहूँगा, कि फिल्म को देखे बिना छोड़िए मत।
फिल्म की थीम लीक से हट कर है, एक तरह से आर्ट फिल्म की श्रेणी में ही आती है। पर फिर भी बाक्स ऑफिस पर अच्छी चल रही है, यह जान कर सुखद आश्चर्य ही हुआ। कोंकणा सेनशर्मा की एक पत्रकार की मुख्य भूमिका बहुत ही शक्तिशाली है। गर्ल-नेक्सट-डोर वाले व्यक्तितव की इस अभिनेत्री की यह पहली फिल्म देखी है मैंने, पर अब पता चला पहले ही “मिस्टर एण्ड मिसेज़ अइयर” में धाक छोड़ चुकी है, और कई पुरस्कार भी पा चुकी है। अब तो वह फिल्म भी देखनी पड़ेगी। देब भाई कौन सी चक्की का पिसा खाते हो आप बंगाली लोग जो इतना टेलेंट पाए हो।
बस एक बात का ख्याल रखें। यहाँ देसी डीवीडी लेते समय हम रेटिंग पर इतना ध्यान नहीं देते, और कई बार देखते देखते पता चलता है कि अगर यह अँग्रेज़ी फिल्म होती तो “आर” रेटिड होती। थोड़ा थोड़ा ही सही, इस फिल्म ने बॉलीवुड़ की कुछ शालीनता सीमाओं को कई जगह पार किया है, हालाँकि भौंडा लगे बिना। समलैंगिक यौन, द “ग” वर्ड़, हॉलीवुड़ स्टाइल चुम्बन, यहाँ तक कि बच्चों को भी वासना का शिकार होते हुए दिखाया गया है। मैं यह नहीं कहूँगा कि बच्चों को इस फिल्म से वंचित किया जाए, पर पहली बार खुद देखें, फिर निश्चय करें।
चलते चलते अतुल को बधाई, उन के शहर की ईगल्ज़ ७-० से आगे हैं। भई मैं तो हाफ टाइम का इन्तज़ार कर रहा हूँ, पर क्या फायदा इस बार जेनेट जैकसन तो है नहीं। सॉरी अतुल भाई, इस बार महा कटोरी (सुपर बोउल) कोई और ले गया।
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