जब भारतीय, या भारतीय मूल के, लोग किसी विश्व स्तरीय प्रतियोगिता में जीतते हैं तो खुशी तो होती ही है। सौन्दर्य प्रतियोगिताओं का ९० के दशक का भारत से मोह अब भंग होता दीख रहा है। इस बार मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता में तो मिस इंडिया फाइनल १५ में भी नहीं पहुँची।
स्पेलिंग प्रतियोगिताओं में भारतीय मूल के बच्चों का खासा वर्चस्व रहा है। कल दफ्तर से घर लौटते समय रेडियो पर स्क्रिप्स स्पेलिंग बी के नतीजों के बारे में एक रिपोर्ट सुनी। विजेता बना सैन डिएगो का १३ वर्षीय बालक अनुराग कश्यप। अन्तिम शब्द के रूप में उस से पूछे गये “अपाजिटोरा” के हिज्जे।
अनुराग ने दोहराया, “अपाजिटोरा, परिभाषा दें।
“an embellishing note”
“अपाजिटोरा, मूल भाषा बताएँ।”
“लेटिन से इटालियन”
“अपाजिटोरा, …अपाजिटोरा, a, p, p, o, g, g, i, a, t, u, r, a”
और इस के साथ ही बना अनुराग नेशनल स्पेलिंग बी का २००५ का चैंपियन।
आज सुबह अनुराग को एबीसी टीवी के “गुड मॉर्निंग अमेरिका” शो में देखा जिस में डायैन सॉयर और रॉबिन रॉबर्ट्स ने उस से बात की। “कंप्यूटर पर कुछ लिखते समय क्या तुम भी कभी स्पेलचैक का प्रयोग करते हो?” “बिल्कुल करता हूँ। स्पेलिंग बेशक पता हो, पर टाइपिंग करते हुए गलती तो हो ही सकती है।”
बधाई हो अनुराग।
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