मैंने कहा था न ब्लॉगस्पॉट छोड़ते समय अपना चिट्ठा डिलीट मत करो, वरना कोई और URL हथिया लेगा। अब देखिए समाजवाद समाप्त हो गया तो टोमेक जी ने हथिया लिया, जिन का शायद काम ही कूड़ेदान से URL निकालने का है। चिट्ठाचर्चा निरन्तर से होते हुए चिट्ठा-विश्व पर चली गई तो उसका URL किसी शहज़ादे नवाब ने ले लिया। चलो कम से कम देसी मसौदा ही है इस पर। पर क्या कोई ताज़ा पता नहीं ले सकते थे? (ताज़ा खबर (१५ सितम्बर) : चिट्ठा चर्चा शहज़ादे नवाब से वापस ले लिया गया है। बधाई!) पता चला धरणीधर जी ने भी दुकान बन्द कर ली है। भैया, अपना URL वापिस ले लो, इस से पहले कि कोई और हथिया ले।
समाजवाद बन्द हुआ तो हमें बहुत दुख हुआ। समाजवाद के सिद्धान्तों से भले ही हमारा कोई वास्ता न रहा हो, पर बड़ी मुश्किल से तो हमारे चिट्ठे की कहीं तारीफ हुई थी। दुनिया वाले अमर सिंह को अमर सिंह मानें न मानें, हम ने तो मान लिया था।
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