सर्व-धर्म-सम्भव और सर्व-धर्म-समभाव वाले भारत में आप कितने यहूदियों को जानते हैं, और उन के बारे में कितना जानते हैं? उन के रस्मोरिवाज के बारे में कितना जानते हैं? उदाहरण के लिए क्या आप जानते हैं कि वे भी मुसलमानों की तरह खतना करते हैं? हाल ही में मैं ने “मिस्टर ऍण्ड मिसेज़ अइयर” देखी, बड़े इन्तज़ार के बाद। इस के एक बहुत ही पावरफुल सीन में कुछ मुसलमानों के एक हिन्दू गाँव को जला देने के बाद कुछ दंगाई एक बस में आ जाते हैं मुसलमान यात्रियों को मारने के लिए। वे कुछ यात्रियों की पतलून उतरवा कर उन का धर्म पता करते हैं, तो एक यहूदी यात्री स्वयं से ध्यान हटाने के लिए एक बूढ़े मुसलमान युगल की ओर इशारा करता है, और उन्हें मरवा देता है। यह दृष्य आदमी को सोचने पर मजबूर करता है कि इस स्थिति में मैं क्या करता?
इन्हीं दिनों भारतीय अमरीकियों की न्यूयॉर्क से निकलने वाली एक पत्रिका “लिट्ल इंडिया” पढ़ने को मिली, जिस में छपे एक संस्मरण के बारे में बताना चाहता हूँ। यह संस्मरण लिखा है एक भारतीय यहूदी ने जिस ने विश्व के अन्य लाखों यहूदियों की तरह इज़राइल को अपना घर तो बना लिया है, पर वहाँ उस की शक्लो सूरत के कारण उस के साथ वह होता है जो भारत में कभी नहीं होता। वहाँ हर जगह उसे आतंकवादी समझा जाता है। याईर इज़िकील कहता है
मुझे गुस्सा आता है। पर उस से भी ज़्यादा मुझे रंज होता है, क्योंकि मैं ने भारत छोड़ कर इज़राइल को अपना घर बना लिया है। क्योंकि इज़राइली मुझ से ड़रते हैं, और मैं पराया हो कर रह गया हूँ। क्लास या दफ्तर से लौटते हुए, यदि मुझे देर हो रही हो, तो मैं दौड़ नहीं सकता। यदि मैं अपने कोट के बटन बन्द कर लूँ तो लोग मुझ से जितना हो सके दूर खड़े हो जाते हैं, और अगर दौड़ूँ तो कोई गार्ड मुझे चिल्ला कर रुकने को कहेगा।
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