Category: भाषा
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ग़ज़ल का सिर पैर और …पूँछ
लगभग सभी हिन्दी भाषी जो कविता में रुचि रखते हैं, हिन्दी संगीत में रुचि रखते हैं, किसी न किसी रूप में ग़ज़ल में भी रुचि रखते हैं। जो लोग उर्दू-दाँ नहीं भी हैं और महदी हसन, ग़ुलाम अली की गाई कुछ पेचीदा ग़ज़लें नहीं भी समझ पाते, उनके लिए पंकज उधास अवतार सरीखे आए। उन्होंने…
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दिल धड़कने का सबब याद आया
दिल धड़कने का सबब याद आया वो तेरी याद थी अब याद आया आज मुश्किल था सम्भलना ऐ दोस्त तू मुसीबत में अजब याद आया दिन गुज़ारा था बड़ी मुश्किल से फिर तेरा वादा-ए-शब याद आया तेरा भूला हुआ पैमान-ए-वफ़ा मर रहेंगे अगर अब याद आया फिर कई लोग नज़र से गुज़रे फिर कोई शहर-ए-तरब…
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बाज़ीचा-ए-अत्फ़ाल है दुनिया मेरे आगे
बाज़ीचा-ए-अत्फ़ाल है दुनिया मेरे आगे होता है शबो-रोज़ तमाशा मेरे आगे। इक खेल है औरंगे-सुलेमाँ मेरे नज़दीक इक बात है ऐजाज़े-मसीहा मेरे आगे। जुज़ नाम नहीं सूरते-आलम मुझे मंज़ूर जुज़ वहम नहीं हस्तिए-अशिया मेरे आगे। होता है निहाँ गर्द में सहरा मेरे होते घिसता है जबीं ख़ाक पे दरिया मेरे आगे। मत पूछ कि क्या…