आशा ही जीवन है – नवीं अनुगूँज

Akshargram Anugunj
मैं एक इनक्युअरेब्ल ऑपटिमिस्ट हूँ, यानी लाइलाज आशावादी। मैं इस बात में सौ प्रतिशत विश्वास करता हूँ कि आशा ही जीवन है। ज़िन्दगी में कुछ भी गुज़र जाए, मैं हमेशा यही मानता हूँ कि शायद इस से बुरा भी हो सकता था, और जो मेरे साथ हो रहा है, हज़ारों-लाखों लोगों के साथ रोज़ इस से बुरा होता है। इसीलिए मुझे “संघर्ष से सफलता” की कहानियाँ बहुत प्रेरित करती हैं। चाहे वह अन्धी-बहरी हेलेन केलर की कहानी हो, या पैरा-ओलंपिक्स में भाग लेने वाले किसी अपंग खिलाड़ी की। आशा ही तो है जिस के बल पर लोग जीते हैं, आशा के बिना क्या जीना।

कभी भारत के बारे में, कभी बिहार के बारे में यह चुटकुला बहुत सुनाया जाता है, “जापान के किसी नास्तिक वैज्ञानिक ने यहाँ आ कर कहा – मुझे यहाँ आकर भगवान पर विश्वास हो गया है। वह इसलिए कि जब हर कोई नोच नोच कर खाने में लगा हुआ है तो देश चल कैसे रहा है? यह ज़रूर भगवान की ही करामत है।”

एइन रैंड मेरी मनपसन्द लेखिका हैं, और उन के उपन्यास फाउन्टेनहैड और ऍटलस श्रग्ड मेरे मनपसन्द उपन्यासों में से हैं। ऍटलस श्रग्ड ऐसे कुछ गिने चुने लोगों की कहानी है जो दुनिया को अपने कन्धे पर चलाते हैं, यानी जब सारी दुनिया के लोग नोच नोच कर खा रहे होते हैं तो कुछ गिने चुने लोग तब भी काम कर रहे होते हैं, ईमानदारी से, लगन से, बिना बाकी लोगों की परवा किए हुए। मेरा यह मानना है कि बिहार को, भारत को, दुनिया को, यही गिने चुने लोग चलाते हैं। यह मेरे आशावाद का हिस्सा है।

रोज़ समाचारों में कई निराशाजनक घटनाओं के साथ साथ कुछ ऐसी चीज़े भी सुनने को मिलती हैं जिन से मानवता में आशा और विश्वास की झलक मिलती है। कल ही रेडियो पर सुनी दो बातों के बारे में बताना चाहूँगा। बीसवीं शताब्दी के आरंभ में जन्मा लू गेरिग अमरीकी बेसबाल के सब से मशहूर खिलाड़ियों में से माना जाता है। १९३९ में जब वह ३६ साल की उम्र में एक रहस्यमयी बीमारी के चलते खेल से रिटायर हो रहा था, ज़िन्दगी की कोई आशा न होते हुए भी, उस ने अपने भाषण में यह कहा, “मैं स्वयं को दुनिया का सब से खुशक़िस्मत आदमी समझता हूँ। अन्त मेरा भला नहीं हो रहा, पर ज़िन्दगी मैं ने जितनी जी, भरपूर जी”। दो साल बाद लू का देहान्त हो गया। ALS की बीमारी जिस का पक्का इलाज ढूँढने में अभी भी वैज्ञानिक लगे हुए हैं, लू गेरिग डिज़ीज़ के नाम से जानी जाती है।

रेफ ऍस्क्विथ को बड़े बड़े पुरस्कारों से नवाज़ा जा चुका है, पर पिछले २४ वर्षों से वह लॉस एंजिलिस के एक सरकारी प्राइमरी स्कूल में ऐसे बच्चों को पढ़ा रहा है, जो ग़रीब परिवारों से आए हैं। उन के ऊपर इतना ध्यान दे रहा है, कि वे किसी उच्च कोटि के प्राइवेट स्कूल के बच्चों को मात दें। रेफ की पांचवीं कक्षा के बच्चे शेक्सपीयर पढ़ते हैं, संगीत सीखते हैं, नाटकों में भाग लेते हैं। तनख्वाह वही मिलती है, जो आम स्कूल अध्यापक को मिलती है। कई जगहों से अच्छी नौकरियाँ मिलने के बाद भी रेफ ऍस्क्विथ अपने स्कूल, अपने बच्चों को नहीं छोड़ता।

ऐसा नहीं कि आशावाद में खूबियाँ ही खूबियाँ हैं, या निराशावाद में बुराइयाँ ही बुराइयाँ हैं। कहा जाता है कि दोनों तरह के लोग समाज को कुछ न कुछ देते हैं — आशावादी ने हवाई जहाज़ का आविष्कार किया, तो निराशावादी ने पैराशूट का।

दो दोस्त थे, एक आशावादी और एक निराशावादी। सैर को निकलने की बात हो रही थी तो निराशावादी डर रहा था कि अभी अभी नहा के निकला हूँ कोई पक्षी बीट न कर दे। आशावादी ने कहा, इतना बड़ा आस्मान है, इतनी बड़ी ज़मीन है, तुम्हें यह क्यों लग रहा है कि बीट तुम्हारे ही ऊपर गिरेगी। निराशावादी मान गया, पर उसका ड़र सही निकला। निकलते ही एक पक्षी ने उस के सारे कपड़े गन्दे कर दिए। उस ने अपने दोस्त से कहा, “अब खोजो इस में आशा की किरण”। आशावादी बोला, “भैया, भगवान का शुक्र करो कि हाथियों के पंख नहीं होते।”

खैर यह थे आशावाद पर अपने विचार। अधिक आशावाद का यह भी नुक्सान है कि मैं हर काम देर से करता हूँ, यह सोच कर कि हो जाएगा, कोई मुसीबत नहीं आने वाली। निराशावादी शायद हर काम पहले करते होंगे, यह सोच कर कि पता नहीं कल क्या हो जाए। यह प्रविष्टि इस आशा के साथ लिख रहा हूँ कि अनुनाद जी अब भी अपने अवलोकन में शामिल कर लेंगे। अच्छा शायद यह है कि दोनों चीज़ों का सन्तुलित मिश्रण होना चाहिए। “भविष्य की योजना ऐसी बनाओ जैसे सौ साल जीना हो, काम ऐसे करो जैसे कल मरना हो।” चलते चलते यह बता दूँ कि मेरे लिए आशा के बिना बिल्कुल जीवन नहीं है, चाहे लड़े, चाहे मरें, आशा के साथ अग्नि के सात फेरे जो लिए हैं।


Posted

in

,

by

Tags:

Comments

  1. अनूप शुक्ला Avatar

    लाइलाज आशावादी। बहुत दिन बाद पढ़ा अच्छा लेख।अच्छा लगा।बधाई।

  2. अनूप शुक्ला Avatar

    लाइलाज आशावादी। बहुत दिन बाद पढ़ा अच्छा लेख।अच्छा लगा।बधाई।

  3. विजय ठाकुर Avatar

    निश्चित तौर बहुत ही बढिया विचार है आपके, आज आपके मस्तिषक के कुछ और कोनों से साक्षात्कार होना लगभग एक प्रेरणा की तरह है।

  4. विजय ठाकुर Avatar

    निश्चित तौर बहुत ही बढिया विचार है आपके, आज आपके मस्तिषक के कुछ और कोनों से साक्षात्कार होना लगभग एक प्रेरणा की तरह है।

  5. प्रेम पीयूष Avatar

    दौङते – दौङते आखिर अनुगूंज की गाङी पकङ ली न । लगेज – तो बढिया भारी है । काफी सामान है भैयाजी ।

  6. प्रेम पीयूष Avatar

    दौङते – दौङते आखिर अनुगूंज की गाङी पकङ ली न । लगेज – तो बढिया भारी है । काफी सामान है भैयाजी ।

  7. Pankaj Kumar Singh Avatar

    ऐसा नहीं कि आशावाद में खूबियाँ ही खूबियाँ हैं, या निराशावाद में बुराइयाँ ही बुराइयाँ हैं। कहा जाता है कि दोनों तरह के लोग समाज को कुछ न कुछ देते हैं — आशावादी ने हवाई जहाज़ का आविष्कार किया, तो निराशावादी ने पैराशूट का।

    Pankaj Kumar Singh
    New Delhi

  8. Pankaj Kumar Singh Avatar

    ऐसा नहीं कि आशावाद में खूबियाँ ही खूबियाँ हैं, या निराशावाद में बुराइयाँ ही बुराइयाँ हैं। कहा जाता है कि दोनों तरह के लोग समाज को कुछ न कुछ देते हैं — आशावादी ने हवाई जहाज़ का आविष्कार किया, तो निराशावादी ने पैराशूट का।

    Pankaj Kumar Singh
    New Delhi

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *