परसों जीतू की शादी की सालगिरह थी। एक बार फिर मुबारकबाद। वैसे पतियों पर अक्सर यह इलज़ाम लगाया जाता है कि उन्हें अपनी शादी की सालगिरह याद नहीं रहती। लेकिन एक चुटकुला हाल में किसी ने भेजा, जिस में पति को शादी की बीसवीं सालगिरह भी याद थी। उस का हिन्दी अनुवाद कर के बता रहा हूँ।
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श्रीमती जी की रात के दो बजे अचानक नीन्द खुली तो पाया कि पतिदेव बिस्तर से नदारद हैं। जिज्ञासावश उठीं, खोजा तो देखा डाइनिंग टेबल पर बैठे कॉफी का कप हाथ में ले कर, विचारमग्न, दीवार को घूर रहे हैं। पत्नी चुपचाप पतिदेव को कॉफी की चुस्की लेते हुए बीच-बीच में आँख से आँसू पोंछते देखती रही। फिर उन के पास गई और बोलीं, “क्या बात है, डियर? तुम इतनी रात गए यहाँ क्या कर रहे हो?”
पति ने कॉफी से नज़र उठाई। “तुम्हें याद है, २० साल पहले जब तुम सिर्फ १६ साल की थीं?” बड़ी गम्भीरता से बोले।
पत्नी अपने पति के प्यार को देख कर भाव विभोर हो गई, बोली, “हाँ, याद है।”
कुछ रुक कर पति बोला, “याद है जब तुम्हारे जज पिता जी ने हमें मेरी कार की पिछली सीट पर रंगे हाथों पकड़ लिया था?”
“हाँ याद है।”
“याद है कैसे उन्होंने मेरी कनपटी पर बन्दूक रख कर कहा था, “या तो इस से शादी कर लो, या २० साल के लिए अन्दर कर दूँगा।”
“हाँ वह भी याद है।”
अपनी आँख से एक और आँसू पोंछते हुए पति बोला, “…आज मैं छूट गया होता।”
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एक बार फिर जीतू को बधाई और आशा है कि उमर-क़ैद खुशी-खुशी कटे।
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