क्या नोबेल-विजेता मदर टेरेसा सेंट थीं?

मदर टेरेसा भारत के गिने चुने नोबेल पुरस्कार विजेताओं में से एक थीं। जब कि डा॰ चन्द्रशेखर और डा॰ खोराना जैसे वैज्ञानिक नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने से पहले अमरीका के नागरिक बन चुके थे, मदर टेरेसा ने भारतीय बन कर नोबेल पुरस्कार जीता। परिणामस्वरूप उन के नाम के साथ हमेशा भारत का नाम लिया जाता है। इतना पुण्य कमाने वाली शख्सियत का नाम किसी नकारात्मक ढ़ंग से लिया जाय यह मुश्किल है। परन्तु खेद यह है कि मैक्स म्यूलर या ऍनी बेसेंट से उलट उन्होंने भारतीय संस्कृति को कम और भारतीय दारिद्र्य को अधिक अपनाया — मूल उद्देश्य था अधिक लोगों को ईसाइयत के करीब लाना। परिणामवश, मदर टेरेसा के साथ याद की जाती है भारत की गन्दगी, ग़रीबी और कोढ़।

बीबीसी की यह ख़बर पढ़िए। जबकि मदर टेरेसा और उनकी संस्था के द्वारा किए गए कार्यों की सभी दाद देते हैं, रैशनलिस्ट ऍसोसिएशन ऑफ इंडिया के प्रबीर घोष कहते हैं खुदारा उन को सेंट मत बनाइए। दरअसल कैथलिक कानून के अनुसार सेंट बनने के लिए यह ज़रूरी है कि उन्होंने कोई चमत्कार किए हों।

पोप और वैटिकन से हमारी सिर्फ एक प्रार्थना है, यदि आप को इस देश के ग़रीबों का ज़रा भी ख्याल है तो चमत्कारों की कहानियाँ मत गढ़िये और फैलाइए। इस से आप को ईसाइयत फैलाने में मदद मिल सकती है, पर हमारे देश की अशिक्षित आबादी को इस से बड़ा नुक्सान होगा। उन्हें यह ग़लत सन्देश देना अपराध होगा कि आधुनिक आयुर्विज्ञान प्रभावहीन है और बाज़ुओं और टाँगों पर तावीज़ और तिलिस्म बान्धने से रोग दूर हो सकते हैं। पोप को यह बात समझनी चाहिए।

स्वयं रैशनलिस्ट (हिन्दी क्या होगी?) होने के नाते, मैं प्रबीर घोष से पूर्ण रूप से सहमत हूँ।

इसी मुद्दे पर एक और लेख पढ़ा क्रिस्टोफर हिचन्स का, जिन्होंने “हेल्ज़ ऍंजिल” नाम की डॉक्युमेंट्री बनाई है, और “मिशनरी पोज़ीशन” नाम की पुस्तक लिखी है। हिचन्स यूके के “द मिरर” के अपने लेख में लिखते हैं

मुझे मालूम हुआ कि उन्होंने (मदर टेरेसा ने) हैती की डुवालिए गैंग सरीखे तानाशाहों से धन लिया था। वे दरिद्रों की दोस्त न हो कर दारिद्र्य की दोस्त थीं। उन्होंने दान में प्राप्त किये गये विशाल धन का कभी हिसाब नहीं दिया। संसार के सब से ओवरपापुलेटिड शहर में परिवार नियोजन के खिलाफ लड़ती रहीं, और धार्मिक रुढ़िवाद के सर्वाधिक अतिवादी मतों की प्रवक्ता रहीं।

किसी के यह कहे जाने पर कि “रुको ज़रा, उन्होंने अस्पताल भी बनवाए”, क्रिस्टोफर हिचन्स कहते हैं,

आप रुको ज़रा…हमारी पक्की जानकारी के अनुसार, मदर टेरेसा को करोड़ों पाउंड दिये गए। पर उन्होंने कभी अस्पताल नहीं बनवाए। उन का दावा है कि उन्होंने कई देशों में १५० कान्वेंट (ननों के मठ) बनवाए, उन ननों के लिए जो उन के अपने सम्प्रदाय में सम्मिलित हुईं। क्या उन के साधारण दानकर्त्ताओं ने यही जान कर उन्हें धन दिया था?

“न्यूज़ीलैंड ह्यूमनिस्ट” के सम्पादक इयान मिडलटन अपने भारत यात्रा के वृतान्त में कहते हैं

…. वे सेंट बनने की राह पर और अंक प्राप्त करने के लिए मरते हुओं को आश्रय और प्रार्थनाएँ देती थीं, पर दर्द से राहत या दवा नहीं। उनको दान दिए गए मिलियनों डालर बैंक खातों में जमा रहे उन के विश्व भ्रमण के लिए, निर्वांण के इच्छुक तानाशाहों से मिलन के लिए, और उनके अपने इलाज के लिए।

अब मैं ने तो कुछ नहीं कहा। कहने वाले कह रहे हैं। रैशनलिस्ट, ह्यूमनिस्ट, एथीस्ट होने के नाते मैं सिर्फ “हाँ” में सिर हिला सकता हूँ। और फिर, जो नोबेल इनाम अराफात जैसों ने जीते हों और गान्धी जैसों ने हारे हों, उन के बारे में क्या कहना।


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  1. Laxmi N. Gupta Avatar

    रमण जी,

    मेरे मन में मदर टेरीसा के लिये बहुत आदर की भावना है किन्तु मैं आपकी ही तरह उन
    को सेंट बनाने के खिलाफ हूँ। यह दूसरी बात है कि मुझ जैसे गैर-कैथोलिक लोगों के opinions का इस मामले में कोई महत्व है या नहीं, यह प्रश्नात्मक है।

    लक्ष्मीनारायण

  2. Laxmi N. Gupta Avatar

    रमण जी,

    मेरे मन में मदर टेरीसा के लिये बहुत आदर की भावना है किन्तु मैं आपकी ही तरह उन
    को सेंट बनाने के खिलाफ हूँ। यह दूसरी बात है कि मुझ जैसे गैर-कैथोलिक लोगों के opinions का इस मामले में कोई महत्व है या नहीं, यह प्रश्नात्मक है।

    लक्ष्मीनारायण

  3. anunad Avatar
    anunad

    बहुत अच्छी जानकारी संकलित की है आपने । चिन्ता मत कीजिये । टेरेसा सन्त नहीं बनने वाली हैं । पश्चिम ने भारत के खिलाफ उनका जितना दुरुपयोग करना था , कर लिया । अब टेरेसा को सन्त की पदवी देने से उनको अतिरिरिक्त क्या मिल जायेगा ?

    रही बात गान्धी जी की । ना , ना ! वे नोबेल पुरस्कार के लायक नहीं हैं , उससे बहुत उपर हैं ।

    अनुनाद

  4. anunad Avatar
    anunad

    बहुत अच्छी जानकारी संकलित की है आपने । चिन्ता मत कीजिये । टेरेसा सन्त नहीं बनने वाली हैं । पश्चिम ने भारत के खिलाफ उनका जितना दुरुपयोग करना था , कर लिया । अब टेरेसा को सन्त की पदवी देने से उनको अतिरिरिक्त क्या मिल जायेगा ?

    रही बात गान्धी जी की । ना , ना ! वे नोबेल पुरस्कार के लायक नहीं हैं , उससे बहुत उपर हैं ।

    अनुनाद

  5. सन्जय बेंगाणी Avatar
    सन्जय बेंगाणी

    मदर टेरेसा के बारे मे लिखने के लिए साधुवाद. मित्र, टेरेसा को भुखे नंगे लोग अपने देश मे भी मिल जाते पर इसाई बनाने के लिए हिंदू नहीं.

  6. सन्जय बेंगाणी Avatar
    सन्जय बेंगाणी

    मदर टेरेसा के बारे मे लिखने के लिए साधुवाद. मित्र, टेरेसा को भुखे नंगे लोग अपने देश मे भी मिल जाते पर इसाई बनाने के लिए हिंदू नहीं.

  7. ashish Avatar

    क्या बाबा आमटे का काम मदर टेरेसा से कम है ?

    आशिष

  8. ashish Avatar

    क्या बाबा आमटे का काम मदर टेरेसा से कम है ?

    आशिष

  9. Pratik Pandey Avatar

    आपने मदर टेरेसा के बारे में जो सच्‍चाई बयान की है, उससे मैं पूरी तरह सहमत हूँ। हालही में किसी टीवी चैनल ने मिशन ऑफ चैरिटीज़ में स्‍टिंग ऑपरेशन कर यह भंडाफोड़ किया था कि वहाँ पर बच्‍चों के साथ अमानवीय व्‍यवहार किया जाता है। छोटे और मासूम बच्‍चों को दिन में 18 घण्‍टे बान्‍धकर रखा जाता है और उनके साथ मार-पीट की जाती है। पूछे जाने पर मदर टेरेसा की उत्‍तराधिकारी सिस्‍टर निर्मला का कहना था कि बच्‍चों की भलाई के लिये यह सब किया जाता है।
    वहीं दूसरी ओर जिसे डॉक्‍टर चिकित्‍सा का साधारण परिणाम बता रहे हैं, उसे मदर टेरेसा का महान चमत्‍कार कहकर प्रचारित किया जाना बहुत ही हास्‍यास्‍पद है।

  10. Pratik Pandey Avatar

    आपने मदर टेरेसा के बारे में जो सच्‍चाई बयान की है, उससे मैं पूरी तरह सहमत हूँ। हालही में किसी टीवी चैनल ने मिशन ऑफ चैरिटीज़ में स्‍टिंग ऑपरेशन कर यह भंडाफोड़ किया था कि वहाँ पर बच्‍चों के साथ अमानवीय व्‍यवहार किया जाता है। छोटे और मासूम बच्‍चों को दिन में 18 घण्‍टे बान्‍धकर रखा जाता है और उनके साथ मार-पीट की जाती है। पूछे जाने पर मदर टेरेसा की उत्‍तराधिकारी सिस्‍टर निर्मला का कहना था कि बच्‍चों की भलाई के लिये यह सब किया जाता है।
    वहीं दूसरी ओर जिसे डॉक्‍टर चिकित्‍सा का साधारण परिणाम बता रहे हैं, उसे मदर टेरेसा का महान चमत्‍कार कहकर प्रचारित किया जाना बहुत ही हास्‍यास्‍पद है।

  11. Umesh Avatar
    Umesh

    धर्म परिवर्तन कर हिन्दुओ को ईसाई बनाने की परियोजना पर टेरेसा काम करती रही है । नेपाल तथा भारत मे सेवा के नाम पर गरीबो का धर्म परिवर्तन कराने का धन्दा करती थी टेरेसा । संत नही मेरी नजर मे वह वेश्या कहलाने योग्य भी नही थी ।

  12. Umesh Avatar
    Umesh

    धर्म परिवर्तन कर हिन्दुओ को ईसाई बनाने की परियोजना पर टेरेसा काम करती रही है । नेपाल तथा भारत मे सेवा के नाम पर गरीबो का धर्म परिवर्तन कराने का धन्दा करती थी टेरेसा । संत नही मेरी नजर मे वह वेश्या कहलाने योग्य भी नही थी ।

  13. सोनू कुमार Avatar

    आपकी प्रस्तुति वाकई में बहुत बाते बताती है जिसे मदर टरेसा की जानकारी देती है हिन्दू को जागरूक करने हेतु किन्तु ये बाते बहुतो को समझ नहीं आएगी क्यू की बहुत लोग खुद को सेकुलर कहते है

  14. सोनू कुमार Avatar

    आपकी प्रस्तुति वाकई में बहुत बाते बताती है जिसे मदर टरेसा की जानकारी देती है हिन्दू को जागरूक करने हेतु किन्तु ये बाते बहुतो को समझ नहीं आएगी क्यू की बहुत लोग खुद को सेकुलर कहते है

  15. Santosh Sharma Avatar

    कौन कहता है मदर टेरेसा चमत्कारी हैं?

    मदर टेरेसा का इस तरह के काल्पनिक चमत्कार के आधार पर संत की उपाधि देना टेरेसा को अपमान करना है। भारतीय विज्ञान व युक्तिवादी समिति ( साइंस एंड रेशनलिस्टस एसोसिएशन ऑफ इंडिया) के अध्यक्ष प्रबीर घोष ने कहा कि ऐसा कहना कि मदर चमत्कारी हैं, पूर्णतिय गलत है।
    मदर टेरेसा स्वयं किसी भी चमत्कार में विश्वास नहीं करती थीं। वो झाड़-फूंक, तंत्रमंत्र आदि में विश्वास नहीं मानती थी। टेरेसा जब भी बीमार पड़ती थी तो वे इलाज के लिए अस्पताल जाती थीं। किन्तु बड़ी दुःख की बात है कि मदर टेरेसा को मिथ्या चमत्कारी सबूत के आधार पर रोमन कैथोलिक चर्च के संत की उपाधि दिये जाने की घोषणा की है। इसका हम युक्तिवादी, तर्कवादी संत विरोध करते हैं।
    यदि उन्हें संत की उपाधि ही देनी है तो मदर के मानवसेवा के नाम पर दी जाए। मिशनरीज ऑफ चैरिटी की प्रवक्ता सुनीता कुमार और वेटिकन सिटी को चुनौती देते हुए श्री प्रबीर घोष ने कहा कि एक हादसे में उनके बांए कंधे की हड्डी पांच टुकड़े हो गई है। यह एक साल पहले का हादसा है। उन्होंने कहा कि यदि मदर टेरेसा के चमत्कार से उसके कंधे को स्वस्थ कर दिया जाय तो मैं यह स्वीकार कर लूंगा कि मदर को चमत्कारी शक्ति है। क्या पोप श्री घोष की चुनौती का सामना करेंगे?
    श्री घोष ने कहा कि इस तरह के दावे हर धर्म में चमत्कारिक संप्रदाय स्थापित करने के लिए किए जाते हैं। जैसे आजकल मदर टेरेसा के नाम पर ईसाई धर्म कर रहा है। उन्होंने कहा कि मदर टेरेसा को गरीबों, रोगियों और अनाथों की सेवा के लिए संत की उपाधि दी जा सकती है। किन्तु यदि मिथ्या दावों और चमत्कारों को आधार पर मदर को संत की उपाधि दी जाती है तो वह उनकी परंपरा के साथ नाइंसाफ़ी होगी। यदि इस तरह के चमत्कारों की कहानियां फैलाई गईं तो गांव-जवार में रहने वाले कम पढ़े लिखे लोग बीमारियों का अस्पताल में इलाज करवाने की बजाए चमत्कारियों को ही सहारा लेेंगे। केवल अंधविश्वास ही फैलेगा।
    संतोष शर्मा
    संयुक्त सचिव
    भारतीय विज्ञान व युक्तिवादी समिति
    कोलकाता
    मोबाइल नंबर 9330451977

  16. Santosh Sharma Avatar

    कौन कहता है मदर टेरेसा चमत्कारी हैं?

    मदर टेरेसा का इस तरह के काल्पनिक चमत्कार के आधार पर संत की उपाधि देना टेरेसा को अपमान करना है। भारतीय विज्ञान व युक्तिवादी समिति ( साइंस एंड रेशनलिस्टस एसोसिएशन ऑफ इंडिया) के अध्यक्ष प्रबीर घोष ने कहा कि ऐसा कहना कि मदर चमत्कारी हैं, पूर्णतिय गलत है।
    मदर टेरेसा स्वयं किसी भी चमत्कार में विश्वास नहीं करती थीं। वो झाड़-फूंक, तंत्रमंत्र आदि में विश्वास नहीं मानती थी। टेरेसा जब भी बीमार पड़ती थी तो वे इलाज के लिए अस्पताल जाती थीं। किन्तु बड़ी दुःख की बात है कि मदर टेरेसा को मिथ्या चमत्कारी सबूत के आधार पर रोमन कैथोलिक चर्च के संत की उपाधि दिये जाने की घोषणा की है। इसका हम युक्तिवादी, तर्कवादी संत विरोध करते हैं।
    यदि उन्हें संत की उपाधि ही देनी है तो मदर के मानवसेवा के नाम पर दी जाए। मिशनरीज ऑफ चैरिटी की प्रवक्ता सुनीता कुमार और वेटिकन सिटी को चुनौती देते हुए श्री प्रबीर घोष ने कहा कि एक हादसे में उनके बांए कंधे की हड्डी पांच टुकड़े हो गई है। यह एक साल पहले का हादसा है। उन्होंने कहा कि यदि मदर टेरेसा के चमत्कार से उसके कंधे को स्वस्थ कर दिया जाय तो मैं यह स्वीकार कर लूंगा कि मदर को चमत्कारी शक्ति है। क्या पोप श्री घोष की चुनौती का सामना करेंगे?
    श्री घोष ने कहा कि इस तरह के दावे हर धर्म में चमत्कारिक संप्रदाय स्थापित करने के लिए किए जाते हैं। जैसे आजकल मदर टेरेसा के नाम पर ईसाई धर्म कर रहा है। उन्होंने कहा कि मदर टेरेसा को गरीबों, रोगियों और अनाथों की सेवा के लिए संत की उपाधि दी जा सकती है। किन्तु यदि मिथ्या दावों और चमत्कारों को आधार पर मदर को संत की उपाधि दी जाती है तो वह उनकी परंपरा के साथ नाइंसाफ़ी होगी। यदि इस तरह के चमत्कारों की कहानियां फैलाई गईं तो गांव-जवार में रहने वाले कम पढ़े लिखे लोग बीमारियों का अस्पताल में इलाज करवाने की बजाए चमत्कारियों को ही सहारा लेेंगे। केवल अंधविश्वास ही फैलेगा।
    संतोष शर्मा
    संयुक्त सचिव
    भारतीय विज्ञान व युक्तिवादी समिति
    कोलकाता
    मोबाइल नंबर 9330451977

  17. Santosh Sharma Avatar

    मदर टेरेसा की मृत्यु के कई साल बाद तक मोनिका बेसरा का इलाज होता रहा था। मदर टेरेसा स्वयं किसी भी चमत्कार में विश्वास नहीं करती थीं। वो झाड़-फूंक, तंत्रमंत्र आदि में विश्वास नहीं मानती थी। टेरेसा जब भी बीमार पड़ती थी तो वे इलाज के लिए अस्पताल जाती थीं। किन्तु बड़ी दुःख की बात है कि मदर टेरेसा को मिथ्या चमत्कारी सबूत के आधार पर रोमन कैथोलिक चर्च के संत की उपाधि दिये जाने की घोषणा की है।

  18. Santosh Sharma Avatar

    मदर टेरेसा की मृत्यु के कई साल बाद तक मोनिका बेसरा का इलाज होता रहा था। मदर टेरेसा स्वयं किसी भी चमत्कार में विश्वास नहीं करती थीं। वो झाड़-फूंक, तंत्रमंत्र आदि में विश्वास नहीं मानती थी। टेरेसा जब भी बीमार पड़ती थी तो वे इलाज के लिए अस्पताल जाती थीं। किन्तु बड़ी दुःख की बात है कि मदर टेरेसा को मिथ्या चमत्कारी सबूत के आधार पर रोमन कैथोलिक चर्च के संत की उपाधि दिये जाने की घोषणा की है।

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