बीबीसी की सोनिया माथुर यू॰के॰ के वेल्ज़ सूबे में काम करने गईं तो उन को अपने हिन्दुस्तानी तलफ़्फ़ुज़ और वेल्ज़ की वेल्श अँग्रेज़ी में काफी समानता लगी। बीबीसी की साइट पर छपे इस लेख में लिखा है कि जब वह फोन उठा कर “हलो” भर कहती थीं तो अगला उन से पूछता था, “आप वेल्ज़ के किस हिस्से से हैं?”। अब सोनिया भाषाविज्ञों से हिन्दी और वेल्श में समानता की गुत्थी सुलझाने का निवेदन कर रही हैं। बात कुछ पची तो नहीं, कहाँ तो भारतीयों के अँग्रेज़ी उच्चारण को “कम सेक्सी” समझा जाता है, धन्धा चौपट करने वाला समझा जाता है, कुछ लोग कंपनियों के भारतीय काल सेंटरों से तंग भी हैं, और कहाँ सोनिया जी को यू॰के॰ में लोकल समझा जा रहा है। आखिर वेल्ज़ यू॰के॰ का एक मुख्य भाग है, प्रिन्स चार्ल्ज़ को भी प्रिन्स ऑफ वेल्ज़ कहा जाता है।
मुद्दे की और खोजबीन की, तो पता चला मैं अब तक वेल्श को अँग्रेज़ी का एक लोकल ऍक्सेंट समझ रहा था, वह ग़लत था। यह अँग्रेज़ी से अलग, वेल्ज़ की मूल भाषा है, जिस को बोलने वालों की संख्या कम हो रही है। सोनिया माथुर कहती हैं कि उन के उच्चारण को स्थानीय उच्चारण समझे जाने का अनुभव उन्होंने वेल्ज़ में, और भारतीयों में भी पाया। उन्होंने कुछेक शब्दों की तुलना की, जैसे संख्याओं को देखा तो पता चला कि सात को वेल्श में “साइत” कहते हैं, और नौ को तो “नव” ही कहते हैं। वैसे यह महाशय कहते हैं कि वेल्श और हिन्दी में कुछ समानताएँ महज़ एक संयोग है, और इस “शोध” से कुछ निकलने वाला है नहीं।
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