इस पोस्ट का शीर्षक अटपटा ज़रूर है, पर मैं ने इसलिए रखा कि मुझे अच्छा लगा। सही शीर्षक हो सकता था – “फॉरवर्ड करने से पहले सोचें”। या “ज़ोर लगा कर ब्रेक द चेन”।
बचपन से ही मैं चेन-मेल देखता आया हूँ और हमेशा से ही इस से नफरत करता आया हूँ। मुझे याद है जब पोस्ट-कार्ड या “अन्तर्देशीय” आया करते थे, कुछ इस तरह के “फलाँ जगह पर फलाँ व्यक्ति को सपने में सन्तोषी माँ के दर्शन हुए और माँ ने उसे कहा कि यह सन्देश ११ व्यक्तियों तक पहुँचाओगे तो छुपा हुआ धन पाओगे। उस ने माँ की आज्ञा का पालन किया और उसे धन मिला। आप भी यह पत्र ११ व्यक्तियों को भेजिए। फलाँ व्यक्ति ने इस पत्र को बेकार जान कर फेंक दिया तो उसे बहुत नुकसान उठाना पड़ा। ब्ला-ब्ला-बला।” अक्सर लोग इसे गंभीरता से लेते थे और लगे रहते थे इन चिट्ठियों की कापियाँ बनाने में, हाथ से, फोटोकापी से, यहाँ तक कि टाइपिंग या साइक्लोस्टाइल से। मैं हमेशा ऐसी चिट्ठियों को कूड़ेदान के हवाले करता आया हूँ।
आजकल इस का नया अवतार है चेन-ईमेल के रूप में। आए दिन हमारे ईमेल में फॉरवर्ड किए हुए मेल आते हैं, और साथ में यह लिखा होता है कि इसे आगे फॉरवर्ड करें। कोई किसी बीमार व्यक्ति की सहायता के लिए होता है, किसी में किसी मनगढ़न्त वाइरस की चेतावनी होती है, तो किसी में लिखा होता है कि बिल गेट्स यह मेल फॉरवर्ड करने वालों को पैसे बाँट रहा है।
लोग चेन मेल आगे क्यों फारवर्ड करते हैं, यह तो समझ आता है – वे भेजने वाले पर यकीन करते हैं, और सोचते हैं शायद माइक्रोसॉफ्ट वाले वास्तव में पैसे बाँट रहे हों, कोशिश करने में क्या हर्ज है? मेहनत भी तो नहीं है। पर प्रश्न यह है कि लोग इस तरह ही चेन मेल शुरू क्यों करते हैं। उन्हें क्या लाभ होता है?
कोई लतीफ़ा आप को अच्छा लगा, आप ने आगे अपने दोस्तों को अपनी इच्छा से भेज दिया, वह तो बात बनती है, पर अन्यथा अगली बार कोई आप को मेल फॉरवर्ड करने के लिए कहे, तो रुकें। पहले जाँच लें कि ईमेल में दी गई सूचना ग़लत तो नहीं है। अक्सर गूगल भैया से पूछने पर पता चल जाता है। नहीं तो कुछ साइटें इसी काम के लिए बनीं हैं। यदि आप समझ जाते हैं कि ईमेल फॉरवर्ड करने योग्य नहीं है, जिस की बहुत अधिक संभावना है, तो आप ईमेल भेजने वाले को वापस एक “ऍण्टी-चेन-मेल” भेजें।
हाल में मुझे किसी मित्र ने वही पुराना ईमेल भेजा – कि बिल गेट्स अपनी दौलत लुटा रहा है, और हर ईमेल फॉरवर्ड करने वाले को २४८ डॉलर मिलेंगे, और जब आप का ईमेल जब आगे फॉरवर्ड होगा तो हर ईमेल पर आप को २४३ डॉलर मिलेंगे। अब यह मेल तो पहले भी कई बार आ चुका था और इस पर यकीन करने का कोई सवाल ही नहीं पैदा होता था, पर इस बार हैरानी यह थी कि लगभग हर फॉरवर्ड करने वाले ने इस झूठ के ऊपर अपनी मुहर लगाई थी, “हाँ, मेरे HDFC बैंक में आज १५,००० डॉलर आ गए।”, “मुझे आज ICICI बैंक में १२,५४५ डॉलर मिले”, आदि। साथ में भेजने वाले का नाम, पता, फोन नम्बर। अक्सर लोग गेल, टीसीऍस, इंडियनऑइल आदि में काम कर रहे हैं और अपने दफ्तर का ईमेल और ईमेल सूचियाँ प्रयोग कर रहे हैं। सभी लोग पढ़े-लिखे इंजीनियर, वैज्ञानिक सरीखे लोग। यह समझने में कितना दिमाग़ लगता है कि इस तरह की स्कीम का सही होना अंकगणितीय रूप से असंभव है? क्या यह झूठ इसलिए लिख रहे हैं ताकि अगला आलस्य न करे? कहीं मैं ही तो ग़लत नहीं समझ रहा? कहीं ऐसा तो नहीं कि सचमुच भगवान है, और मैं ही अन्ध-अविश्वासी हूँ। आप में से किसी के साथ चमत्कार हुआ हो तो अभी भी समय है बताने का।
कुछ और झूठे किस्से जो इंटरनेट पर कई कई बार घूम चुके हैं, और हाल में ही मेरे ईमेल में आए हैं –
१. सीमेन्ज़ की दिव्या सिंह का अपने पति के लंग कैन्सर के लिए मदद मांगता चेन-मेल, और उस का तोड़
२. एक बच्चे की पुकार जिस की माँ ९-११ की शिकार बनी, और उस का तोड़
३. IIT चेन्नई के तथाकथित डीन विजय क्रान्ति का देशभक्तिपूर्ण पत्र, और उस का तोड़
बिल गेट्स की दौलत के बारे में बिल गेट्स से ही सुन लीजिए।
चेन मेलों के बारे में काफी सूचना यहाँ भी दी गई है। आइए मिल कर चेन मेल की ज़ंजीरें तोड़ें। प्रण करें कि आगे से कोई ईमेल लोगों को बिना जाँचें फॉरवर्ड न करें।
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